संगीत की सृजनात्मक शक्ति #MusicDilSe

संगीत

ध्वनियाँ जब विशिष्ट लय में बँध जाती है, तब संगीत का रुप ले लेती हैं। संगीत वह जादू है, जो  मन-मस्तिष्क को स्पर्श कर उल्लसित करता है।  भारतेन्दु हरिश्चन्द्र  के अनुसार – संगीत की उत्पत्ति मानवीय संवेदनाअों  के साथ हुई। संगीत के माधुर्य की  अपनी एक भाषा  होती है। जो सभी भाषाअों से परे है। अर्थ मालुम हो या ना हो,  किसी भी भाषा का मधुर संगीत दिल को छु जाता है।

संगीत की उत्पत्ति

प्राचीन सभ्यताओं की मूर्तियों, मुद्राओं व भित्तिचित्रों से पता चलता  है कि  संगीत हजारों वर्ष पुरानी कला है।  संगीत की उत्पत्ति की  अनेक रोचक कथाएँ प्राचीन भारतीय शास्त्रों में मिलती हैं।  देवता, गन्धर्व, अप्सराएँ,  किन्नर वाद्य- गान के लिये जाने जातें हैं। गान्धर्व-कला में गीत सबसे प्रधान माना जाता है।  सारे विश्व में संगीत के लिए अलग-अलग शब्द हैं। यूनान मे म्यूज काव्य और संगीत की देवी मानी गयी है।   उन्हें “दि इन्सपायरिंग गॉडेस ऑफ साँग’ अर्थात् ‘गायन की प्रेरक देवी’ कहा गया है। इसी म्यूज  शब्द से म्युजिक व अन्य  साम्य   शब्दों की उत्पत्ति हुई  है। जैसे यूनानी भाषा में संगीत को मौसिकी,  लैटिन में मुसिका,   फ्रांसीसी में मुसीक,  पोर्तुगी में  मुसिका,  जर्मन में मूसिक, अंग्रेजी में म्यूजिक,  इब्रानी, अरबी और फारसी में  मोसीकी  कहते हैं।

संगीत की देवी सरस्वती

एक अद्भुत अौर विशेष बात यह है कि   यूनान की परम्परा में देवी म्यूज की अवधारणा, भारत की  सरस्वती देवी से बिलकुल मिलती-जुलती है।  देवी सरस्वती को भारतीय  संसकृति में साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है। देवी सरस्वती के एक हाथ में  वीणा होती है। यह  संगीत  कला की अभिव्यक्ति है।

संगीत अौर धर्म का गहरा सम्बंध –

संगीत मात्र मनोरंजन का साधन नहीं है। वरन यह मानसिक  शान्ति तथा आत्मिक स्वास्थ्य प्रदान करता है। यही कारण है कि संगीत लगभग हर धर्म से गहरे जुङा है। जो हमें जीवनभर हमारी मानसिक और भावनात्मक समस्याओं से लड़ने में मदद करता है। प्रत्येक धर्म अौर आध्यात्म   में भक्ति संगीत किसी ना किसी रुप में शामिल होता है जैसे – भजन, किर्तन,

संगीत का उपयोग

संगीत  भावुक अभिव्यक्ति मात्र   नहीं है। आजकल  वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा संगीत की  विलक्षण बातों का  उपयोग शारीरिक  और मानसिक रोगों के निदान  के लिये  किया जा रहा  है।  अब संगीत उपचार भी एक चिकित्सा पद्धति बन गई है और उसका उपयोग सफलतापूर्वक  हो रहा है। दिलचस्प  बात है कि    वनस्पति और प्राणियों पर भी संगीत के   अच्छे परिक्षण   परिणाम  पाये गये  हैं।

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