शाम का सुहाना समय था। मैं सोफ़े पर अधलेटी टीवी देख रही थी। दिन भर की भाग – दौड़ के बाद बड़ा अच्छा लगता है आराम से बैठ कर अपना मन पसंद टीवी कार्यक्रम देखना। अगर ऐसे में हाथों में गरमा – गरम चाय का प्याला हो। तब और भी अच्छा लगता है। ऐसे में लगता है कि कोई परेशान ना करे। ना कोई छेड़े। फोन की घंटी भी उकताहट पैदा कर देती है। वह दिन भी ऐसा ही था। मैं बड़े मनोयोग से टीवी देख रही थी।
Month: March 2015
लिखती तो मैं पहले भी थी (कविता )
लिखती तो मैं पहले भी थी। कभी कुछ छप जाता था। तब खुश हो लेती
थी। कभी लिखे पन्ने रखे-रखे पीले पड़ समय की भीड़ में कहीं खो
जाते थे। पर धन्यवाद ब्लॉग की दुनिया। मन की बातें लिखने के लिए
इतना बड़ा आसमान और इतनी बड़ी धरती दे दी है । ढेरो जाने-
अनजाने पाठक और आलोचक। सबको धन्यवाद।
अब मन की हर बात, हर विचार को जब चाहो लिख डालो। मन में भरे
ख़ज़ाने और उमड़ते-घुमड़ते विचारों को पन्ने पर उतारने की पूरी छूट
है। लिखती तो मैं पहले भी थी, पर अब लिखने में मज़ा आने लगा है।
मेरा ब्लॉग -“नरेटिवे ट्रांसपोट ” या “परिवहन कल्पना मॉडल” ( मेरे ब्लॉग के नाम के विषय में )
मेरा ब्लॉग –“नरेटिवे ट्रांसपोटेशन ” या “परिवहन कल्पना मॉडल” के नाम से है।नाम कुछ अलग सा है। इसलिए मैं इस बारे में कुछ बातें करना चाहूंगी।
कभी-कभी हम किसी रचना को पढ़ कर उसमें डूब जाते हैं। उसमें खो जाते हैं। उस में कुछ अपना सा लगने लगता है।
ऐसी कहानी या गाथा जो आप को अपने साथ बहा ले जाये। इसे “कथा परिवहन अनुभव” या “नरेटिवे ट्रांसपोटेशन कहते हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक मनः स्थिति होती है।
मैं चाहती हूँ कि मेरे रचनाओं को पढ़ने वाले पाठक भी ऐसा महसूस करें। इसमें हीं मेरे लेखनी की सार्थकता है। शब्दों का ऐसा मायाजाल बुनना बहुत कठिन काम है। फिर भी मैं प्रयास करती रहती हूँ। अगर मेरा यह प्रयास थोड़ा भी पसंद आए। तब बताएं जरूर। यह मेरा हौसला बढ़ाएगा।

जस्टिन हॉल – ब्लॉग के दुनिया के जनक
शिकागो के इलिनोइस में 16 दिसम्बर 1974 में जन्मे जस्टिन हॉल आज एक अमेरिकी पत्रकार है। इन्हें सबसे अग्रणी और संस्थापक ब्लॉगर / इंटरनेट आधारित डायरी लेखक कहा जाता है।
1994 में वार्थमोर कॉलेज के छात्र, जस्टिन ने अपनी वेब आधारित डायरी लिंक शुरू किया। फिर पहली व्यावसायिक वेब पत्रिका वायर्ड शुरू किया। बाद में हॉल ने वीडियो गेम, मोबाइल प्रौद्योगिकी और इंटरनेट संस्कृति को कवर करने के लिए एक स्वतंत्र पत्रकार बन गए। इनका ब्लॉग लिखने का कार्य जल्दी ही लोगों को पसंद आने लगा। बाद मे इन्हों ने हावर्ड र्हेंगोल्ड के साथ साझेदारी में एक लंबी अवधि तक काम किया। अभी वे सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में रहतें है।
दिसंबर, 2004 में, न्यूयॉर्क टाइम्स पत्रिका ने उन्हे “व्यक्तिगत ब्लॉगिंग के संस्थापक पिता” का खिताब दिया।
आज ब्लॉग की दुनिया विस्तृत हो गई है। दुनिया के हर कोने में और हर भाषा में ब्लॉग लिखे जाते हैं। इसे शुरू करने का श्रेय जस्टिन हॉल को जाता है।
जस्टिन हॉल – ब्लॉग के दुनिया के जनक
शिकागो के इलिनोइस में 16 दिसम्बर 1974 में जन्मे जस्टिन हॉल आज एक अमेरिकी पत्रकार है। इन्हें सबसे अग्रणी और संस्थापक ब्लॉगर / इंटरनेट आधारित डायरी लेखक कहा जाता है।
1994 में वार्थमोर कॉलेज के छात्र, जस्टिन ने अपनी वेब आधारित डायरी लिंक शुरू किया। फिर पहली व्यावसायिक वेब पत्रिका वायर्ड शुरू किया। बाद में हॉल ने वीडियो गेम, मोबाइल प्रौद्योगिकी और इंटरनेट संस्कृति को कवर करने के लिए एक स्वतंत्र पत्रकार बन गए। इनका ब्लॉग लिखने का कार्य जल्दी ही लोगों को पसंद आने लगा। बाद मे इन्हों ने हावर्ड र्हेंगोल्ड के साथ साझेदारी में एक लंबी अवधि तक काम किया। अभी वे सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में रहतें है।
दिसंबर, 2004 में, न्यूयॉर्क टाइम्स पत्रिका ने उन्हे “व्यक्तिगत ब्लॉगिंग के संस्थापक पिता” का खिताब दिया।
आज ब्लॉग की दुनिया विस्तृत हो गई है। दुनिया के हर कोने में और हर भाषा में ब्लॉग लिखे जाते हैं। इसे शुरू करने का श्रेय जस्टिन हॉल को जाता है।
शिवलिंग और नर्मदा ( कविता )
एक पत्थर ने पूछा शिवलिंग से।
तुम चिकने हो, सलोने हो इसलिए
पूजे जाते हो?
हमें तो ना कोई पूछता है। ना ही पूजता है।
शिवलिंग ने कहा- मैं भी तुम जैसा ही था।
नोकदार रुखड़ा, पत्थर का टुकड़ा।
पर मैंने अपने को छोड़ दिया
नदी के प्रवाह में, नियंता के सहारे।
दूसरों को चोट देने के बदले चोटें खाईं।
नर्मदा ने मुझे घिस – माँज कर ऐसा बनाया।
क्या तुम अपने को ऐसे को छोड़ सकोगे?
तब तुम भी शिव बन जाओगे, शिवलिंग कहलाओगे।
(ऐसी मान्यता है कि नर्मदा नदी का हर पाषाण शिवलिंग होता है या उनसे स्वाभाविक और उत्तम शिवलिंग बनते हैं। नर्मदा या रेवा नदी हमारे देश की 7 पवित्र नदियों में से एक है। नर्मदा नदी छत्तीसगढ़ में अमरकंटक मैं विंध्याचल गाड़ी श्रृंखला से निकलती है और आगे जाकर अरब सागर में विलीन हो जाती है। अमरकंटक में माता नर्मदा का मंदिर है । यह ऐसी एकमात्र नदी है जिस की परिक्रमा की जाती है यह उलटी दिशा में यानी पूरब से पश्चिम की ओर बहती है । इसे गंगा नदी से भी ज्यादा पवित्र माना जाता है । मान्यता है कि गंगा हर साल स्वयं गंगा दशहरा के दिन नर्मदा नदी के पास प्ले के लिए पहुंचती है ।यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इस प्राचीन नदी की चर्चा रामायण, महाभारत , पुराणों और कालिदास के साहित्य में भी मिलता है।
हमारा जीवन भी ऐसा हीं है। जीवन के आघात, परेशनियाँ, दुःख-सुख हमें तराशतें हैं, हमें चमक प्रदान करते हैं ।
Life is a journey of self discovery. Describe your journey till now or a part of your journey which brought to closer to a truth about life or closer to your soul and self-discovery. #SelfDiscovery
images from internet.
#FarMoreSingaporeमेरी ख्वाहिश – एक उत्कृष्ट देश का भ्रमण ( blog related )
मेरी बहुत लंबे अरसे से सिंगापुर जाने की चाहत है। इसकी खुबसूरती और प्राकृतिक सौंदर्य हमेशा मुझे अपनी ओर खींचती है। जीवन के भाग-दौड़ में अवसर ही नहीं मिला इस सुंदर देश को देखने का। कामना है, जल्दी मुझे यहाँ जाने का सुअवसर मिले। यहाँ के भोजन चखने का मौका मिले। यह अपनी व्यवस्था, सौंदर्य और स्वादिष्ट भोजन के लिए जाना जाता है।
सिंगापुर दुनिया का एक छोटा और युवा दक्षिण एशियाई देश है। युवा होने पर भी एक सफल, तरक्कीशील और खूबसूरत देश है। इसका नाम हिन्दी के शब्द शेर / सिंह से बना है। जबकि सच्चाई यह है कि यहाँ कभी शेर नहीं रहते थे। पौराणिक कथा के अनुसार, 14 वीं सदी में सुमात्रा राजकुमार ने एक राजसी सिंह को देख इसका नामकरण सिंगापुर किया।
यह देश अपनी साफ-सफाई और नियम पालन के लिए भी जाना जाता है। इसकी खुबसूरती अद्वितीय है। रात में यह शहर रोशनी में नहाया हुआ और भी खूबसूरत दिखता है।
सिंगापुर में सिंगापुर के स्थायी निवासियों के अलावा चीनी, मलय और भारतीय भी काफी संख्या में है। इस देश ने अपनी तरक्की के लिए समुद्री बन्दरगाह, शुल्क मुक्त पुनर्निर्यात (टैक्स फ्री), निर्यात, औद्योगीकरण, एडुकेशन हब आदि का विकास किया है। इसकी दूरदर्शी नीतियों के कारण यह विकास के पाएदान पर तेज़ी से तरक्की कर रहा है।
सिंगापुर ने पिछले कुछ वर्षों में 650 से अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कई हजार वित्तीय संस्थानों और व्यापारिक फर्मों के लिए मेजबान की भूमिका निभाई। इस तरह के मेजबानी के लिए आवश्यक है सभी के स्वाद को समझना , और उसके अनुसार भोजन उपलब्ध कराना।
अर्थव्यवस्था प्रोत्साहन के लिए यहाँ एक और बात पर विशेष बल दिया गया है। वह है पर्यटन और उससे संबधित लुभावने, स्वादिष्ट भोजन । शायद यहाँ के लोग समझ चुके हैं –
” किसी के दिल को जीतने की राह पेट से हो कर जाती है”।
यहाँ के सिंगापुरी व्यंजनों के आलावा चीनी, मलय , कॉन्टिनेन्टल और भारतीय सभी प्रकार के भोजन मिलते हैं। यह देश सागर के किनारे बसा है इसलिए यहाँ समुद्री भोजन (सी फूड) भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। पर सिंगापुर में शाकाहारी रेस्तरां: ग्रीन भी जाया जा सकता हैं। यहाँ की एक और विशेषता है, यहाँ उच्च श्रेणी के अनेक रेस्तरा । कुछ रेस्तरा सिंगापुर नदी के किनारे रोमांटिक माहौल में खाने-पीने की व्यवस्था रखते है। पर यहाँ कम खर्च वाले भोजन के स्थान भी उपलब्ध है। यह मेरे जैसे भोजन के शौकीन पर्यटक के लिए अच्छी सूचना है।
सिंगापुर विविधता से भर एक संपन्न देश है। यहाँ की संस्कृति, भाषा , कला और स्थापत्य कला लाजवाब है । सिंगापुर के अनेकों हिस्सों को खूबसूरती से डिजाइन और विकसित किया गया था । सिंगापुर लगातार नए और आकर्षक यात्रा के अनुभवों को पेश करने के लिए अपने को विकसित कर रहा है। ताकि यहाँ अधिक से अधिक संख्या में पर्यटक आए और उनका मूल मंत्र है –
“अपने घर से दूर घर जैसा आराम और स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध करवाना”
http://discover.stayfareast.com/
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