शुभ जन्माष्टमी Happy birthday lord Krishna

 

माहा

lord krishna – greatest counsellor of the universe

The Mahabharata was a dynastic succession struggle between two groups of cousins –  Kauravas and Pandavas, for the throne. Pandava  Arjuna was  confused in the war field.  All the enemies were his own relatives,  friends and family .  He  asked Krishna for divine advice. Krishna, advised him of his duty. After a long counselling session  Krishna convinced  Arjun . This was a war of  good on the evil

This counselling  of Krishna is known as Gita/ Bhagvat Gita, most religious, philosophical and holy scripture of the Hindu religion .

 

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ २-४७

Karmanye vadhikaraste Ma Phaleshu Kadachana,
Ma Karmaphalaheturbhurma Te Sangostvakarmani

(You have the right to work only but never to its fruits. Let not the fruits of                       action be your motive, nor let your attachment be to inaction. )

 

श्री कृष्ण  -ब्रह्मांड के सबसे बड़े मनोवैज्ञानिक काउंसिलर

महाभारत दो  भाईयों  के   परिवार में राज्य प्राप्ति का य़ुद्ध था। भारत का यह महा य़ुद्ध महाभारत कहलाया। अपने परिवार के विरुद्ध य़ुद्ध लङने से सशंकित  अर्जुन को भगवान कृष्ण ने मात्र कर्म करने  का  लंबा उपदेश / परामर्श दिया। अच्छा की बुराई पर जीत का ज्ञान  दे कर कृष्ण ने  अर्जुन को य़ुद्ध के लिये राजी किया।कृष्ण  द्वारा अर्जुन का यह  मनोवैज्ञानिक काउंसिल /उपदेश भागवत गीता कहलाई।  

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वह कौन है? ( कविता )

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वह कौन थी?

जिन्दगी में उलझी-उलझी 

सब कुछ सुलझाने की कोशिश में,

बहुत कुछ झेलती हुई

जिन्दगी के सैकङो रंगों से खेलती हुई

           खङी

कुछ परेशान, कुछ हताश,

फिर भी हँसती सी।

वह कौन है?

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                                                    नारी

 

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संस्कृत बोलने वाला दुर्लभ गांव जहाँ हर घर में इंजिनियर हैं – समाचार (news- Sanskrit  speaking village of India, with many engineers)

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Sanskrit is believed to be a logical and spiritual language. It is also called as devbhasha  (language of God).     

तुंगा नदी के तट पर मत्तुर / माथुर ग्राम ( कर्नाटक राज्य, भारत, सामान्य भाषा कन्नड़ ) में बोलचाल के लिये  संस्कृत का  उपयोग किया जाता है. एक और अद्भुत बात है, जिन प्राचीन ग्रंथो को आज़ हम भूल रहे हैं. उन्हे   यहाँ के पारम्परिक विध्यालय में पढाते  है. इस गांवों में हर घर में इंजिनियर हैं. मान्यता है संस्कृत देव भाषा है और इस के  अध्ययन से आध्यात्मिकता  और तार्किकता बढती है.    

तब क्या संस्कृत को एक मृत भाषा कहना भ्रामक नहीं है?

छाया चित्र  इन्टरनेट से.

शुभ स्वतंत्रता दिवस Happy independence day

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मानसिक स्वास्थ्य अौर भारत – समाचार ( India’s mental health scenario)

 

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                       मानसिक स्वास्थ्य अौर भारत

क्या आप जानते हैं , दुनिया में सबसे ज्यादा आत्महत्या हमारे देश (2012 )में  होता है। जिसे यहाँ अपराध माना जाता था। जबकि  विश्व भर  में आत्महत्या  को गंभीर मानसिक तनाव व अवसाद का परिणाम बताया जा रहा है।  अफसोस की बात है, भारत की आबादी का 27% अवसाद /depression  से (विश्व स्वास्थ्य संगठन/ WHO के अनुसार)  पीड़ित है। भारत जैसे विशाल देश में मानसिक स्वास्थ्य  चिकित्सा सुविधाओं और संसाधनों की भारी कमी है।

           मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक

विश्व में  अनेक देशों में मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक रोगों जैसा महत्व दिया जा रहा है। पर हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य / रोग को  छुपाया जाता है। अच्छी खबर है ,  कि सरकार द्वारा  मानसिक स्वास्थ्य को महत्व देते हुए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक बिल  तैयार किया गया है। उम्मीद है यह जल्दी हीं ठोस रूप लेगा।

                    जागरुकता

आज सबसे जरुरी है, लोगों में जागरुकता लाना।  मानसिक समस्या  को संकोच अौर शर्मिदगी नहीं समझना चाहिये। इसे छुपाने के बदले चिकित्सकिय सहायता लेना चाहिये।

 

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मनोविज्ञन#3- धर्म मेँ मनोविज्ञन का छिपा रहस्य Psychology and religion / spirituality

 

 Psychology in religion – Religion is a learned behaviour, which has a strong and positive impact on human personality, if followed properly.

धर्म बचपन से सीखा हुआ व्यवहार है. अपने अराध्य या  ईश्वर के सामने अपनी मनोकामनायेँ कहना या अपनी भूल  कबुलना, ये  हमारे सभी बातेँ व्यवहार को साकारात्मक रुप से प्रभावित करती हैँ. जो मनोविज्ञान का भी उद्देश्य  है.

 प्रार्थना, उपदेश, आध्यात्मिक वार्ता, ध्यान, भक्ति गीत, भजन आदि सभी गतिविधियाँ  धर्म का हिस्सा हैँ. ध्यान देँ तब पायेंगेँ , ये सभी किसी ना किसी रुप मेँ हम पर साकारात्मक असर  डालतीँ  हैँ. अगर गौर करेँ, तब पयेँगेँ ये सभी व्यवहार किसी ना किसी रुप में  मनोवैज्ञानिक

  • ये आत्म प्रेरणा या  autosuggestion देते हैँ.
  • अपनी गलतियोँ को स्वीकार करने से मन से अपराध  बोध/ गिल्ट कम होता है
  • अंतरात्मा की आवाज सुनने की सीख, अपनी गलतियोँ को समझने की प्रेरणा देता है.
  • सोने के पहले अपने दिन भर के व्यवहार की समिक्षा करने की धार्मिक शिक्षा मनोविज्ञान का  आत्म निरीक्षण या introspection है.

अध्ययनोँ से भी पता चला है – ध्यान, क्षमा, स्वीकृति, आभार, आशा और प्रेम जैसी धार्मिक परंपराएँ हमारे व्यक्तित्व पर प्रभावशाली मनोवैज्ञानिक असर डलता हैं।

 

clinical reports suggest that rehabilitation services can integrate attention to spirituality in a number of ways.

(“Spirituality and religion in psychiatric rehabilitation and recovery from mental illness”- ROGER D. FALLOT Community Connections, Inc., Washington, DC, USA International Review of Psychiatry (2001), 13, 110–116)

 

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आम के आम,  गुठलियोँ के दाम – 1   पुदिना प्रोग्राम – चटनी, स्टोक , बागवानी. (3 in 1- uses of Mint : Dip, Stock and Gardening ) 

 

 

पुदीने की  एक गड्डी आपके तीन काम आ सकती है. सबसे पहले पुदीने की गड्डी को तीन हिस्से मेँ अलग-अलग

कर लेँ –

  1. पत्ते,
  2. पतली टहनियाँ, पुराने और पीले पत्ते ( जिन्हे आप फेँकने वाले हैँ )
  3. मोटी डंडियाँ

#चटनी –

पुदीने की गड्डी – 100 ग्राम

इमली –  25 ग्राम

हरी मिर्च – 4-5

गुड  – 10-20  ग्राम

सरसोँ तेल – 1  चम्मच

नमक – स्वाद अनुसार

पुदीने की गड्डी से पत्ते अलग करे. धो कर हरी मिर्च, ईमली, गुड, सरसोँ तेल,  नमक डाल कर  मिक्सी मेँ बरीक पीस लेँ. चटनी तैयार है. पकौडियोँ या किसी मन पसन्द भोजन के साथ खा सकते हैं. फ्रिज मेँ 3-4 दिन रख कर काम मेँ ला सकतेँ हैँ.

#सूप स्टोक, गोलगप्पे का पानी या शोरबा   

पुदीने की गड्डी की पतली टहनियाँ, पुराने और पीले पत्ते  ( जिन्हे आप फेँकने वाले हैँ ) धो लेँ. कुकर मेँ एक कप पानी मेँ 5 मिनट उबाल लेँ. इस पानी को आप सूप स्टोक, गोलगप्पे का पानी या शोरबा/ सब्जी मेँ डालने के काम मेँ ला सकतेँ हैँ. हम सभी जानतेँ हैँ, पुदीने का पानी पेट के लिये लाभदायक होता है.

# बागवानी –

पुदीने के पौधे लगाना बडा सरल होता है.  पुदीने की गड्डी मेँ से पत्ते निकाल कर मोटी डंडियाँ अलग कर लेँ. अगर ध्यान देँगे, तब किसी-किसी डंडी मेँ पतली- पतली जडेँ भी नज़र आयेँगी. इन्हेँ अपने बगीचे या किसी गमले मेँ लगा देँ. समय-समय पर पानी देते रहेँ. जल्दी हीँ इन मेँ नये पत्ते आने लगेगेँ.

 

चित्र -इंटरनेट से.

 

मनोविज्ञान#3 मन मेँ गिल्ट/ अपराध  बोध ना पालेँ (व्यक्तित्व पर प्रभाव) Guilt (emotion)

 

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( Alice Miller claims that “many people suffer all their lives from this oppressive feeling of guilt.”

Feelings of guilt can prompt subsequent virtuous behaviour. Guilt’s  are one of the most powerful forces in undermining one’s self image and self-esteem.  Try to resolve it.)

 गिल्ट या  अपराध  बोध एक तरह की  भावना है. यह हमारे नैतिकता का उल्लंघन, गलत आचरण जैसी बातोँ से   उत्पन्न होता है. इसके ये कारण हो सकतेँ हैँ –

  • बच्चोँ/ बचपन मेँ  अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा ना उतरने की भावना.

  • अपने को दोषी/ अपराधी महसूस करना.

  • किसी को चाह कर भी मदद/ पर्याप्त मदद न कर पाने का अह्सास.

  • अपने आप को किसी और की तुलना में कम पाना.

 हम सब के  जीवन मेँ कभी ना कभी ऐसा होता हैँ. हम ऐसा व्यवहार कर जाते हैँ,  जिससे पश्चाताप और आंतरिक मानसिक संघर्ष की भावना पैदा होती है. यह हमारे अंदर तनाव उत्पन्न करता है. जब यह अपराध-बोध ज्यादा होने लगता है, तब यह किसी ना किसी रुप मेँ हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है.

अपने व्यवहार को समझे और सुधारेँ –

  • अपने गिल्ट को समझने की कोशिश करेँ.

  • अपनी गलतियोँ को स्वीकार कर सुधार लायेँ. अस्विकार ना करेँ.

  • तर्कसंगत तरीके से ध्यान देँ गिल्ट अनुचित तो नहीँ है

  • तर्कसंगत गिल्ट व्यवहार सुधारने मेँ मदद करता है.

  • माफी माँगना सीखे.

  • भूलवश गलती हो, जरुर माफी मांगे.

  • अपनी गलतियोँ को अनदेखी ना करेँ.

  • बच्चोँ / लोगोँ से अत्यधिक अपेक्षा ना रखेँ. वे जैसे हैँ वैसे हीँ उन्हेँ स्वीकार करेँ.

  • पूर्णता किसी में मौजूद नहीं है।

  • अपने आप को जैसे आप हैँ वैसे हीँ पसंद करेँ. तुलना के बदले आत्म स्वीकृति की भावना मह्त्वपुर्ण है.

  • बच्चोँ को हमेशा टोक कर शर्मिंदा ना करेँ.

  • जरुरत हो तब बेझिझक कौंसिलर से मदद लेँ.

गिल्ट आत्म छवि, आत्मविश्वास, और आत्म सम्मान कम करता हैं । गहरा गिल्ट चिंता, अवसाद , बेचैनी या विभिन्न मनोदैहिक समस्याओं के रूप में दिखाता है. इसलिये गिल्ट की  भावनाओं को दूर करना चाहिये.

 

 

 

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मनोविज्ञान#2 आत्म प्रेरणा से अपना व्यक्तित्व निखारे. Self-improvement by autosuggestion

Auto suggestion – A process by which an individual may train subconscious mind for self- improvement.

यह एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है. आत्म प्रेरित सुझाव विचारों, भावनाओं और व्यवहारोँ को प्रभावित करता हैँ. किसी बात को बारबार दोहरा कर अपने व्यवहार को सुधारा जा सकता है.

अपनी कमियाँ और परेशानियाँ हम सभी को दुखी करती हैँ. हम सभी इस में बदलाव या सुधार चाह्ते हैँ और जीवन मेँ सफलता चाहतेँ हैँ. किसी आदत को बदलना हो, बीमारी को नियंत्रित करने में अक्षम महसुस करतेँ होँ, परीक्षा या साक्षात्कार में सफलता चाह्तेँ हैँ. पर आत्मविश्वास की कमी हो.

ऐसे मेँ अगर पुर्ण विश्वास से मन की चाह्त निरंतर मन हीँ मन दोहराया जाये. या अपने आप से बार-बार कहा जाये. तब आप स्व- प्रेरित संकल्प शक्ति से अपनी कामना काफी हद तक पुर्ण कर सकतेँ हैँ और अपना व्यवहार सुधार सकते हैँ। जैसे बार-बार अपनी बुरी आदत बदलने, साकारात्मक विचार, साक्षात्कार मेँ सफल होने, की बात दोहराया जाये तब सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है.

ऐसा कैसे होता है?
हमारा अवचेतन मन बहुत शक्तिशाली है. बार बार बातोँ को दोहरा कर अचेतन मन की सहायता से व्यवहार मेँ परिवर्तन सम्भव है. साकारात्मक सोच दिमाग और शरीर दोनों को प्रोत्साहित करतेँ हैँ. इच्छाशक्ति, कल्पना शक्ति तथा सकारात्मक विचार सम्मिलित रुप से काम करते हैँ. पर यह ध्यान रखना जरुरी है कि हम अवस्तविक कामना ना रखेँ और इन्हेँ लम्बे समय तक प्रयास जारी रखेँ.a s

 

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ब्लॉग लेखन टिप्स                   (Blog writing tips )

 

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(Age old practice of writing , black on white is best.

Don’t be too  ornamental.

 bold font may be used for strong expression.)

मुझे इस बात की बड़ी खुशी हैं , ब्लॉग की हमारी यह दुनिया अच्छे लोगों से भरी हैं. मेरी  कहानी और लेखों को पढ कर मुझे  कुछ  अनमोल सुझाव मिले. जो मैं आप सबों के साथ बाँटना चाहती हूँ.

इस रंगीन दुनियाँ में सब ओर रंग बिखरे हैं. पर सफ़ेद पर काले लिखावट ही आँखों को सुकून देते  हैं.

लेख को ज्यादा  सजावट, बनावटी बना देता हैं. अतः स्वभाविकता बना रहे इसका ख़याल रखें.

 बोल्ड और स्वभाविक अक्षरों के प्रयोग से अपनी भावनाओं को ज्यादा सही तरीके से व्यक्त किया जा  सकता हैं. अपनी बात को स्पष्ट और प्रभावशाली बनाने में बोल्ड अक्षर सहायक होते हैं.

 

 

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