रंगों का खेल

 

वह सफेद लिबास में, सफेद गुलदस्ते सी थी,

घर वालों को चाहिये थी लाली वाली दुलहन। 

यह शादी, मैरेज अौर निकाह के बीच का फासला

प्रेम, इश्क, लव व इबादत

सब कुछ तोङ गई।

शादी

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रोज़ के झिकझिक से परेशान ,
झूठी बातों  और धोखे से हैरान
जब भी उसने चाहा निकलना
सबने कहा -सात जन्मों का
बंधन हैं.
तुम्हे निभाना हैं.
पावन सम्बन्ध हैं
तुम्हे निभाना हैं.
पर यह तो सचमुच ऐसा बंधन हैं.
जो सिर्फ उसे निँभाना हैं.
ऐसा क्यों ?
काश ये बातें दोनों को कही जाती.

 

 

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