सूरज

थका हरा सूरज रोज़ ढल जाता है.

अगले दिन हौसले से फिर रौशन सवेरा ले कर आता है.

कभी बादलो में घिर जाता है.

फिर वही उजाला ले कर वापस आता है.

ज़िंदगी भी ऐसी हीं है.

बस वही सबक़ सीख लेना है.

पीड़ा में डूब, ढल कर, दर्द के बादल से निकल कर जीना है.

यही जीवन का मूल मंत्र है.

ज़िंदगी के रंग – 197

जीवन के संघर्ष हमें रुलातें हैं ज़रूर,

लेकिन दृढ़ और मज़बूत बनातें हैं.

तट के पत्थरों और रेत पर

सर पटकती लहरें बिखर जातीं हैं ज़रूर.

पर फिर दुगने उत्साह….साहस के साथ

नई ताक़त से फिर वापस आतीं हैं,

नई लहरें बन कर, किनारे पर अपनी छाप छोड़ने.

इंतज़ार

कहते हैं, जो कुछ  खोया हैं,

वह वापस आता है।

पर कब तक करें इंतज़ार यह तो बता दो?

Don’t grieve. Anything you lose comes round in another form.

Rumi ❤️

 

जिंदगी थी खुली किताब

जिंदगी थी खुली किताब,

हवा के झोकों से फङफङाती ।

आज खोजने पर भी खो गये

पन्ने वापस नहीं मिलते।

शायद इसलिये लोग कहते थे-

लिफाफे में बंद कर लो अपनी तमाम जिन्दगी,

खुली किताबों के अक्सर पन्नें उड़ जाया करते है ।