पुराण कहते हैं सूर्य जब 14 दिन माघ नक्षत्र में होता है, तब वर्षा जल बन जाता है गंगाजल सा। कर लो इससे देव अर्चना, महादेव अभिषेक या श्री यंत्र पर श्री सूक्तम अभिषेक, प्रसन्न होगी लक्ष्मी। आयुर्वेद बताता है, यह जल है अति पवित्र और रोग नाशक। किवदंतियाँ कहतीं हैं चातक पक्षी साल भर प्यासा रह करता है इंतज़ार, पीने को अमृतमय माघ नक्षत्र वर्षा जल का। कृषक मनाते हैं, धरती की प्यास बुझाती यह जल है स्वर्ण समान। चाणक्य ने सही कहा है – नास्ति मेघसमं तोयं’।
(सूर्य लगभग 14 दिनों तक एक नक्षत्र की परिक्रमा करता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष माघ नक्षत्र में सूर्य की कक्षा 17 अगस्त को दोपहर 1:18 बजे से 30 अगस्त की रात 9:18 बजे तक माघ नक्षत्र में होगा। मान्यता है कि अनमोल है माघ नक्षत्र के बारिश का जल। लोग अमृत समान मान इस समय के वर्षा जल को संचित करते हैं।
विज्ञान और नासा जिन बातों को खोज़ रहें है। उनकी जानकारियाँ हमारे भारतीय पंचांगों में सटीक तरीक़े से सदियों से बताया जा रहा है।)






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