
लेखक, कवि औ
कलाकार कल्पना और
ख़्वाबों की दुनिया से
मोतियाँ चुन
सजाते हैं अपनी रचायें।
यह ख़ज़ाना खुली आँखों
से नहीं दिखता।
दिल से हीं महसूस
किया जा सकता है,
ख़्वाबों की यह तिज़ारत।
मुनाफ़ा-नुक़सान में
उलझने वाले क्या जाने
दिल की ये ख़ूबसूरत बातें?

लेखक, कवि औ
कलाकार कल्पना और
ख़्वाबों की दुनिया से
मोतियाँ चुन
सजाते हैं अपनी रचायें।
यह ख़ज़ाना खुली आँखों
से नहीं दिखता।
दिल से हीं महसूस
किया जा सकता है,
ख़्वाबों की यह तिज़ारत।
मुनाफ़ा-नुक़सान में
उलझने वाले क्या जाने
दिल की ये ख़ूबसूरत बातें?
पलट कर देखा, लगा काश…..
बीता समय लौट आये।
जिंदगी ने हँस कर कहा –
यह लिखना -मिटाना
फिर कुछ नया लिखना……..
यह तुम्हारी फितरत होगी,
हमारी नही।
हम तुम्हारी तरह लेखक या कवि नहीं हैं।
दूसरा मौका हम नहीं देते!!!!!