ना समझो इसे मौन,
खोज़ रहें है, हम हैं कौन?
कर रहे हैं अपने आप से गुफ़्तगू।
हमें है खोज़ अपनी, अपनी है जुस्तजू ।
इश्क़ अपने आप से, अपने हैं हमसफ़र।
छोटी सी ज़िंदगी, छोटी सी रहगुज़र।
रेत हो या वक्त ,
फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।
लगेगा नहीं कुछ खबर।
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