चटख़ कर बिना शोर टूटते हैं दिल।
यक़ीन और विश्वास बेआवाज़ टूटते है।
तय है, खामोशी में भी है शोर।
ग़र सुन सके, तो हैं अलफ़ाज़ बेमानी।
कहने वाले कहते हैं –
खामोशी होती है बेआवाज़ …. शांत।
खामोशी की है अपनी धुन
सुन सके तो सुन।
चटख़ कर बिना शोर टूटते हैं दिल।
यक़ीन और विश्वास बेआवाज़ टूटते है।
तय है, खामोशी में भी है शोर।
ग़र सुन सके, तो हैं अलफ़ाज़ बेमानी।
कहने वाले कहते हैं –
खामोशी होती है बेआवाज़ …. शांत।
खामोशी की है अपनी धुन
सुन सके तो सुन।
हर हँसी के पीछे छुपी एक ना एक कहानी होती है।
कुछ बेमानी,
कुछ जानी या
अनजानी होती है।
कुछ मोनालिसा सी रहस्यमय पहेली होती है।
कुछ ख़ुशियों भरी और
कुछ के पीछे छुपी आँसुओं की कहानी होती है.
चाहे कहो इसे मनोविज्ञान या विज्ञान में जेलोटोलॉजी
पर यह तय है कि हर हँसी पैग़ाम होती है ख़ुशियों की
अौर गम भुला,
सीखा देती है, जिंदगी में मुस्कुराने की।