इन इत्रों, खुशबू, सुगंध से परे

इन दुनियावी  रंगों , इत्रों, खुशबू, सुगंध से परे

कोई अौर भी राग-रंग,  महक है ,

जो  दिल और आत्मा को रंगती हैं

जीवन यात्रा में।

यह  खुशबू   हमें ले कर  चलती रहती है,

प्यार भरे जीवन के अनन्त  पथ पर।

जीवन के रंग – 32

इस जीवन यात्रा में…..

एक बात तो बङे अच्छे से समझ आ गई,

अपनी लङाई खुद ही लङनी  होती है।

इसमें

शायद ही कोई साथ देता है,

क्योंकि

  लोग   अपनी लङाईयों अौर उलझनों में उलझने होते हैं।