बिखरती खुशबू को समेटने
की चाहत देख सुगंध ने कहा –
हमारी तो फितरत हीं है बिखरना
हवा के झोंकों के साथ।
तुमने बिखर कर देखा है कभी क्या ?
इस दर्द में भी आनंद है।
बिखरती खुशबू को समेटने
की चाहत देख सुगंध ने कहा –
हमारी तो फितरत हीं है बिखरना
हवा के झोंकों के साथ।
तुमने बिखर कर देखा है कभी क्या ?
इस दर्द में भी आनंद है।
इन दुनियावी रंगों , इत्रों, खुशबू, सुगंध से परे
कोई अौर भी राग-रंग, महक है ,
जो दिल और आत्मा को रंगती हैं
जीवन यात्रा में।
यह खुशबू हमें ले कर चलती रहती है,
प्यार भरे जीवन के अनन्त पथ पर।
मुट्ठी में दबे,
मसले – कुचले गुलाबों
की खुशबू फ़िजा में तैर गई।
हथेलियाँ इत्रे गुलाब अर्क
से भर गईं
क्या हम ऐसे बन सकते हैं?
मर्म पर लगी चोट
पीङा नहीं सुगंध दे ???