जीवन की परीक्षाओं को हँस कर,
चेहरे की मुस्कुराहट के साथ झेलना तो अपनी-अपनी आदत होती है.
जीवन ख़ुशनुमा हो तभी मुस्कुराहट हो,
यह ज़रूरी नहीं.
जीवन की परीक्षाओं को हँस कर,
चेहरे की मुस्कुराहट के साथ झेलना तो अपनी-अपनी आदत होती है.
जीवन ख़ुशनुमा हो तभी मुस्कुराहट हो,
यह ज़रूरी नहीं.
सूरज ङूबने वाला था,
ना जाने क्यों ठिठका ?
अपनी लालिमा के साथ कुछ पल बिता
पलट कर बोला – अँधेरे से ङरना मत ।
यह रौशनी-अधंकार कालचक्र है।
नया सवेरा लेकर
मैं कल फिर आऊँगा !!!!!
image by Rekha Sahay
शीतल हवा का झोंका बहता चला गया।
पेङो फूलों को सहलाता सभी को गले लगाता ……
हँस कर जंगल के फूलों ने कहा –
वाह !! क्या आजाद….खुशमिजाज….. जिंदगी है तुम्हारी।
पवन ने मुस्कुरा कर कहा –
क्या कभी हमें दरख्तों-ङालों, खिङकियों-दरवाज़ों पर सर पटकते….
गुस्से मे तुफान बनते नहीं देता है?
हम सब एक सा जीवन जीते हैं।
गुस्सा- गुबार, हँसना-रोना , सुख-दुख,आशा-निराशा
यह सब तो हम सब के
रोज़ के जीवन का हिस्सा है!!!
इस जीवन यात्रा में…..
एक बात तो बङे अच्छे से समझ आ गई,
अपनी लङाई खुद ही लङनी होती है।
इसमें
शायद ही कोई साथ देता है,
क्योंकि
लोग अपनी लङाईयों अौर उलझनों में उलझने होते हैं।