सर्वपितृ अमावस्या

Sarvpitra Amavasya

when we offer water

with our thumb for ancestors,

it is believed to bring

them peace and satisfaction.

In the south-west direction or under the

peepal tree, an oil lamp is lit —

symbolizing light on their path.

Whether these offerings truly reach them

or not, no one can say for sure.

But this amazing and beautiful tradition —

whether seen as spirituality, science,

or psychology — surely brings

deep peace to the heart and soul.

।।ॐ Pitrudevaya नमः।।

माघ नक्षत्र वर्षा जल

पुराण कहते हैं सूर्य जब 14 दिन माघ नक्षत्र में होता है, तब वर्षा जल बन जाता है गंगाजल सा। कर लो इससे देव अर्चना, महादेव अभिषेक या श्री यंत्र पर श्री सूक्तम अभिषेक, प्रसन्न होगी लक्ष्मी। आयुर्वेद बताता है, यह जल है अति पवित्र और रोग नाशक। किवदंतियाँ कहतीं हैं चातक पक्षी साल भर प्यासा रह करता है इंतज़ार, पीने को अमृतमय माघ नक्षत्र वर्षा जल का। कृषक मनाते हैं, धरती की प्यास बुझाती यह जल है स्वर्ण समान। चाणक्य ने सही कहा है – नास्ति मेघसमं तोयं’।

(सूर्य लगभग 14 दिनों तक एक नक्षत्र की परिक्रमा करता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष माघ नक्षत्र में सूर्य की कक्षा 17 अगस्त को दोपहर 1:18 बजे से 30 अगस्त की रात 9:18 बजे तक माघ नक्षत्र में होगा। मान्यता है कि अनमोल है माघ नक्षत्र के बारिश का जल। लोग अमृत समान मान इस समय के वर्षा जल को संचित करते हैं।

विज्ञान और नासा जिन बातों को खोज़ रहें है। उनकी जानकारियाँ हमारे भारतीय पंचांगों में सटीक तरीक़े से सदियों से बताया जा रहा है।)

बद्रीनाथ

महाप्रलय !!

World’s largest iceberg breaks off from Antarctica !

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महाप्रलय… जल मग्न धरा पर

बच गए अकेले मानव मनु।

है जानते यह कथा सब ।

गलते-टूटते विशालकाय हिम खंड

क्या वही इतिहास दोहराएँगे?

 आज ये आइसबर्ग खबरें हैं,

क्या कल हम सब खबरें बन जाएँगे?

 

 

 

खबरें

सब कहते हैं –  प्रकृति  निष्ठुर हो गई है।

पर क़ुदरत से बेरुखी किया हम सब नें ।

कभी सोंचा नहीं यह  क्या कहती है?

 क्यों कहती हैं?

कटते पेङ, मरती नदियाँ आवाज़ें देतीं रहीं। 

जहर बना जल, सागर, गगन। 

हवाएँ कहती रहीं

 अनुकूल बनो या नष्ट हो जाअो…….

अब, पता नही खफ़ा है ? 

 दिल्लगी कर रही है?

या अपने  नियम, कानून, सिद्धांतों पर चल रही है यह ?

खबरें पढ़ कर विचार आता है –

आज हम पढ़तें हैं हङप्पा अौर मोहनजोदाङो,

हजारों साल बाद क्या कोई हमें पढ़ेगा?

 

अनुगच्छतु प्रवाह !

जीवन प्रवाह में बहते-बहते आ गये यहाँ तक।

 माना,  बहते जाना जरुरी है। 

परिवर्तन जीवन का नियम है।

पर जब धार के विपरीत,

 कुछ गमगीन,  तीखा मोङ आ जाये,

  किनारों अौर चट्टानोँ से टकाराने  लगें, 

  जलप्रवाह, बहते आँसुअों से मटमैला हो चले,

   तब?

 तब भी,

जीवन प्रवाह का अनुसरण करो।

यही है जिंदगी।

प्रवाह के साथ बहते चलो।

 अनुगच्छतु प्रवाह ।।  

दीवाली अौर दीये !

हमने खुद जल कर उजाला किया.

अमावास्या की अँधेरी रातों में,

 बयार से लङ-झगङ कर…

तुम्हारी ख़ुशियों के लिए सोने सी सुनहरी रोशनी से जगमगाते रहे.

और आज उसी माटी में पड़े हैं…..

उसमें शामिल होने के लिए

जहाँ से जन्म लिया था.

यह थी हमारी एक रात की ज़िंदगी.

क्या तुम अपने को जला कर ख़ुशियाँ बिखेर सकते हो?

कुछ पलों में हीं जिंदगी जी सकते हो?

  सीखना है तो यह सीखो। 

 

 

Image courtesy- Aneesh

22 March – विश्व जल दिवस World Water Day

Every Drop of Water Matters, as Every Drop has Life.

पानी की हर एक बूँद मायने रखती है क्योंकि हर एक बूँद में जीवन है.

विश्व जल दिवस २२ मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी विकसित देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

World Water Day is an annual UN observance day that highlights the importance of freshwater. The day is used to advocate for the sustainable management of freshwater resources. World Water Day is celebrated around the world with a variety of events. These can be educational, theatrical, musical or lobbying in nature. 

 

Information courtesy – Wikipedia    

आत्मा The soul

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।२३।।

इस आत्माको शस्त्र काट नहीं सकते, आग जला नहीं सकती, जल गला नहीं सकता और वायु सूखा नहीं सकता ।

nainam chindanti shastrani nainam dahati pavakah ।
na chainam kledayanty app na sosayati marutah ।। 23।।

(Bhagwat Gita: Chapter -Two,  verse -23)

“The soul can never be cut to pieces by any weapon, nor burned by fire, nor moistened by water, nor withered by the wind.”

According to Bhagwat Gita, the Soul, or Atman has the properties that Weapons cannot pierce it, fire cannot burn it, water cannot moisten it and wind cannot dry it (Chapter 2.23).