जिंदगी के रंग -206

कलम थामे

     लिखती उंगलियाँ आगे बढ़ती जातीं हैं।

           तब  एक जीवंत रचना उभरती हैं।

                ये उंगलियाँ संदेश हैं –

                        जिंदगी आगे बढ़ते जाने का नाम है।

                                 आधे पर रुक कर,

पंक्तियोँ…लाइनों को अधूरा छोङ कर,

       लिखे अक्षरों को आँसूअों से धुँधला कर,

                 सृजनशीलता…रचनात्मकता का अस्तित्व संभव नहीं।

                         यही पंक्तियाँ… कहानियाँ… कविताएँ,

                                   पन्नों पर उतर,

                                             आगे बढ़नें  की राहें  बन जातीं हैं। 

 

गौर करें

गौरी लंकेश को समर्पित -Tribute to Journalist Gauri Lankesh

NEWS – Gauri Lankesh: Indian journalist shot dead in Bangalore

FREEDOM OF SPEECH AND EXPRESSION – Article 19

 

गौर करें 

इतना साहसी  ( कायर)…

इतना शक्तिशाली ( कमजोर)…..

वह कौन है?

जिसे  नियमों -कानूनों का

भय नहीं ? 

 पर भय है एक महिला के कलम से ।

क्या  महिलायें कमजोर हैं ?

या गलत लोगों में कमजोर होने का भय पैदा कर सकती हैं?  

जिंदगी के रंग- कविता 15

 जिंदगी ने बहुत से दर्द भरे सबक दिये, 

 उन्हें  पन्नों पर उतारते-उतारते ,

फिर से……………

इश्क हो गया  जिंदगी,  कलम  अौर कागज  से

आप   इन्हें जो चाहे कहें,

जिंदगी के रंग,  जिंदगी के फलसफे, तजुर्बे या कविता……….