कई जंग अक्सर हम अपने आप से हैं लड़ते,
ख़्वाबों, ख़्वाहिशों और दुनियादारियों की।
कभी दिल से जंग पेचीदागियों भरा!
कभी दिमाग़ से मामला इश्क़ भरा।
कभी पूरे होते ख़्वाब, कभी क़त्ल होतीं ख्वाहिशें।
फिर भी सुर्ख़-रु दिल धड़कता रहता है।
सब लड़ते रहते है अपनी-अपनी जंग।
ये हैं ज़िंदगी के रंग।
बहुत सुंदर
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✨❤🤗
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वाह बहुत खूब लिखा है आपने
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धन्यवाद🙏💕
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