ऋषिकेश की मेरी यात्रा

हिमालय के प्रवेश द्वार – ऋषिकेश की मेरी यह यात्रा बेहद ख़ुशनुमा रही। यहाँ हिमालय की शिखरों से नीचे ऊतर समतल धरा पर शीतल गंगा कलकल- छलछल बहती अद्भुत सम्मोहक लगती है। गंगा के एक ओर के घाटों पर खड़े हो कर दूसरी ओर के किनारे की छटा निराली दिखती है। दूर नज़र आते हैं – परमार्थ निकेतन, राम झूला, सीता झूला, गंगा आरती तथा गंगा तट पर शिव मूर्ति।शाम में होने वाली गंगा आरती की छटा भी निराली और मनमोहक होती है। लोग आस्था के साथ पत्ते के बने दोने में पुष्पों के बीच दीप प्रज्ज्वलित कर गंगा को समर्पित कर प्रवाहित करते है। नदियों को देवतुल्य मान अद्भुत आस्थामय सम्मान देने की यह परंपरा शायद हीं विश्व में कहीं और नज़र आती है। यहाँ की स्वच्छ पुण्य सलिल गंगा को देख कर ख़्याल आता है – “काश गंगा इतनी हीं स्वच्छता से देश के हर क्षेत्र में बहे।”

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