आपने अपने आप को आईने में देखा ज़िंदगी भर।
एक दिन ज़िंदगी के आईने में प्यार से मुस्कुरा कर निहारो अपने आप को।
अपने को दूसरों की नज़रों से नहीं, अपने मन की नज़रों से देखा। कहो, प्यार है आपको अपने आप से!
सिर्फ़ दूसरों को नहीं अपने आप को खुश करो।
रौशन हो जाएगी ज़िंदगी।
जी भर जी लो इन पलों को।
फिर नज़रें उठा कर देखो। जिसकी थी तलाश तुम्हें ज़िंदगी भर,
वह मंज़िल-ए-ज़िंदगी सामने है। जहाँ लिखा है सुकून-ए-ज़िंदगी – 0 किलोमीटर!