अक्सर लोगों ने कहा –
पुरानी बातें ना दोहराओ ।
पर क्यों?
हम सब रामायण, गीता और महाभारत दोहरातें हैं,
समझ और ज्ञान पाने, ग़लत बातों
को ग़लत बताने के लिए।
अनुचित करने वाले अपनी त्रुटि
छुपाने के लिए ये सब कहते हैं!
ग़लतियाँ करने से क्यों नहीं डरते हैं।
ऐसे लोगों को ग़लत हरकतें
कर नई बातों की उम्मीद क्यों?