बदला बदला चाँद

कुछ दिनों पहले चाँद ने किया कुछ वायदा

और बादलों में खो गया .

आया इस हफ़्ते सामने

बदला बदला सा रूप ले कर ,

नया नया सा चाँद .

रोज़ रोज़ रूप बदलते

किस चाँद से पूछूँ

उसका पुराना वायदा ?

लोग भी ऐसे ही बदलते हैं।

समझना मुश्किल है ,

ऐसे बदलते लोगो के

किस बात पर यक़ीन करें ?

किस पर नहीं?

16 thoughts on “बदला बदला चाँद

  1. बिल्कुल ठीक कहा रेखा जी आपने । यही दुनिया का सच है । पुरानी फ़िल्म ‘वरदान’ का गीत याद आ गया –
    कुछ लोग यहाँ पर ऐसे हैं
    हर रंग में रंग बदलते हैं
    हम उनको और समझते हैं
    पर वो कुछ और निकलते हैं

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    1. लोगों के बदलने की शिकायत क्यों करनी है? दुनिया हीं ऐसी है. आपने बिलकुल सही गीत लिखी है . बहुत आभार आपका .

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  2. Reminds of an old song:

    वर्ना जीने के लिए सब
    कुछ भुला लेते हैं
    लोग।।
    एक चेहरे पे कई चेहरे
    लगा लेते हैं लोग।

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