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जीवन में एक स्थिति आती है ,
जब परिपूर्णता का एहसास होता है .
आत्मा में आध्यात्मिकता आती है .
इस परिपूर्णता का अहसास
दुःख, सुख, मोह, माया या
किसी भी बात से हो सकती है .
सिद्धार्थ, बुद्ध बने सुख से भरे
परिपूर्ण जीवन होने के बाद .
मूढ़ मति कालिदास ज्ञान व
आध्यात्मिकता की पराकाष्ठ पर पहुँचे ,
अपने अज्ञानता से व पत्नी के धिक्कर के दुःख से .
अपने दस्यु जीवन को वाल्मीकि ने त्यागा,
किसी शिकारी की क्रूरता से प्रेम लीला
में डूबे करोंच – सारस पक्षी में से एक
के वध और दूसरे पक्षी के
विरह विलाप सुन कर.
अद्भुत श्लोक लिख कवि बन गए .
फिर आध्यात्मिक महाकाव्य
रामायण लिख डाली.
मार्ग चाहे कुछ भी हो ……
रूह में रूहानियत आनी चाहिए .
परिपूर्णता पाना जीवन का लक्ष्य होना चाहिए .

Such an inspirational post.
Thanks for sharing.
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thank you so much.
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How beautiful poem!
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thank you Pranita.
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Nice write up.
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thank you Prakash.
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बड़ी बात कही है रेखा जी !
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शुक्रिया नीरज ,
बात बड़ी तो है पर अमल हो तब तो ख़ास कहलाएगी .
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