कर्णप्रिय

कान सिर्फ़ सुनने और किसी को

बातें सुनाने के लिये नहीं होते।

ये दिल अौर मन को शांति दे

या शांति हर भी सकते हैं।

मंत्र योगा, गीत, भजन,

मन को शीतल-शांत,

तृप्त करते है।

गानों की आवाज कानों से सुन

पैर थिरकने लगते हैं .

हमें दूसरों के लिए

कर्णप्रिय या कर्ण कटु

क्या बनना हैं , यह हमारी पसंद हैं.

Bill Gates warns that nobody is paying attention to gene editing, a new technology that could make inequality even worse

   

एक व्यंग

आज हम जिस दौर से गुजर रहे हैं बहुत से बहसों की गुंजाइश है

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जीन एडिटिंग उनमें से ही कुछ हैं।

क्या आज हम वही अनाज, फल, सब्जियाँ खाते हैं जो आज से 50-100 साल पहले खाते थे

बिल्कुल नहीं, उनके जीन एडिट से अब तक

 कुछ बहुत बदल चुका है?

दवाएँ, हवाएँ, सब तो एडिट हो गई है।

फिर इंसान के जींस को बदलने के लिए इतना सोच विचार क्यों?

नतीजा तो 50-100 साल बाद ही पता चलेगा शोध जारी  ही रहेंगे

मालूम नहीं कुछ समय बाद इंसान का क्या रूप देखने वाला है हम?

जीन बदलता जाएगा, इंसान बदलते जाएगें

वैसे ही क्या हम कम बदल चुके हैं गिरगिट की तरह?

खेलखेल में कहीं एक्स्टिंक्ट  या विलुप्त ना हो जाए हम सब  बस यही ख्याल रखना।

 

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