परिपूर्ण जीवन

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जीवन में एक स्थिति आती है ,

जब परिपूर्णता का एहसास होता है .

आत्मा में आध्यात्मिकता आती है .

इस परिपूर्णता का अहसास

दुःख, सुख, मोह, माया या

किसी भी बात से हो सकती है .

सिद्धार्थ, बुद्ध बने सुख से भरे

परिपूर्ण जीवन होने के बाद .

मूढ़ मति कालिदास ज्ञान व

आध्यात्मिकता की पराकाष्ठ पर पहुँचे ,

अपने अज्ञानता से व पत्नी के धिक्कर के दुःख से .

अपने दस्यु जीवन को वाल्मीकि ने त्यागा,

किसी शिकारी की क्रूरता से प्रेम लीला

में डूबे करोंच – सारस पक्षी में से एक

के वध और दूसरे पक्षी के

विरह विलाप सुन कर.

अद्भुत श्लोक लिख कवि बन गए .

फिर आध्यात्मिक महाकाव्य

रामायण लिख डाली.

मार्ग चाहे कुछ भी हो ……

रूह में रूहानियत आनी चाहिए .

परिपूर्णता पाना जीवन का लक्ष्य होना चाहिए .

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