वक़्त बदला

जो न देते थे जवाब ,

उनके सलाम आने लगे…

वक़्त बदला तो,

मेरे नीम पे आम आने लगे…

Anonymous

16 thoughts on “वक़्त बदला

  1. वाह
    वक़्त के साथ एहतराम बदल जाते हैं
    आदमी देख कर सलाम बदल जाते हैं

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      1. नहीं मैम
        नाम याद नहीं आ रहा है इसलिए अज्ञात लिखना भी अच्छा नहीं लगा

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  2. सही बात है ! बड़ी ताकत है वक़्त में| 1960 दशक की बलराज साहनी आदि की अभिनीत फिल्म ‘वक़्त’ में इसे बहुत अच्छे तरीके से दर्शाया है ! उसके इस गीत में भी यही भाव हैं :

    वक़्त से दिन और रात
    वक़्त से कल और आज
    वक़्त की हर शै ग़ुलाम
    वक़्त का हर शै पे राज
    वक़्त की पाबन्द हैं
    आती जाती रौनकें
    वक़्त है फूलों की सेज
    वक़्त है काँटों का ताज
    आदमी को चाहिये
    वक़्त से डर कर रहे
    कौन जाने किस घड़ी
    वक़्त का बदले मिज़ाज

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    1. बहुत शुक्रिया एक छोटी सी कविता के लिए सुंदर और गीतमय उत्तर के लिए .
      वक़्त बड़ी अच्छी फ़िल्म है समय के ताक़त को दर्शाती हुई .

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