आश्रु भरे नयन

धीरे धीरे , आहिस्ता – आहिस्ता

सारे पल बीत गये,

समय को पकड़ने की

कोशिश मेंरह गईं रिक्त मुट्ठी …..

और कुछ ख़्वाब, यादें और ख़्याल .

विवश कुमहलाया चेहरा

और आश्रु भरे नयन ……

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