बिखर आये पतझङ के मौसम में
सूखते….
लाल, पीले, भूरे , शुष्क होते पत्ते
उङते गर्दो-गुबार से धूल धुसरित थे।
तभी गर्म , तेज़ हवा के झोंके ने
अश्वत्थ की ङालियों को हिला दिया
अौर पर्णपाती…. पत्तों का झङना शुरू हो गया।
अद्भुत नज़ारा था –
मृत गोल -गोल, घुमते- नाचते
गिरते, झङते, पीपल के पत्ते मानो
खुशी मनाते…….
सूफी दरवेश नृत्य कर रहे हों ।
मृत्यु वरण करते इन पर्ण -पत्तों में
यह हौसला कहाँ से आया?
Waah!
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आभार रुपाली।
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motivating word Rekha
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Thank you Poonm.
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Reblogged this on tabletkitabesi.
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Thank you.
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Bahot acha likha hai mam
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aabhar Deepti.
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Aap jaroor meri tarah gaanw ki hongi,tabhi n badalte mausam ki badlaaw ko mehsoos kar rahe hai…..
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🙂 Bharat to gavon ka desh hai. aap kis gaawn/ gah se hai Raj?
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Chhota sa pyaara sa gaanw mera.
..
Bihar ke gopalganj jeela mein
Jagarnathpur..
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Tab, kuch to similarity hai. mai patna ki hun. gopalganj ka naam sunaa hai.
tum apne gaawn ke bare me kuch post karo. acchaa lagega padh kar.
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मेरे गाँव नें सूरज से पहले उठ जाते हैं किसान,मेरे गाँव में
खेतों में काम करने जाते हैं लेकर सतुवा पिसान,मेरे गाँव.
बूढ़े पेड़ के नीचे बैठकर आराम फरमाते हैं सब,
गाँव का रक्षक हैं बूढ़ा पीपल जिसे कहते ब्रह्म स्थान,मेरे गाँव में.

पश्चिम से आती है एक नहर मेरे गाँव मेरे में,
गाँव से गुजरती सड़क ही गाँव की पहचान ,मेरे गाँव में.
गेहूँ, धान,ऊख वगैरह की खेती होती है यहाँ,
यहाँ धरती सोना उगलती हैॆ,मोती बरसाता है आसमान,मेरे गाँव में.
गाँव में’देवी का मन्दिर’हैं,और एक पवित्र मस्जिद हैं,
मजहबी भेदभाव भूलकर एक साथ रहते हैं हिन्दु मुसलमान,मेरे गाँव में.
रात में बरगद और शीशम के पेड़ों पर जुगनू मंडराते हैं,
दादी सुनाती हैं बच्चों को परियों की दास्तान,मेरे गाँव में.
शाम को बच्चे कुएँ के चबूतरे पे गोटी खेलते हैं,
खुशी खुशी रहते हैं सब महिलाएँ,बच्चे,बूढ़े,जवान ,मेरे गांव में.
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बेहद खूबसूरत है तुम्हारा गाँव राज अौर उसका वर्णन। मुझे कभी किसी गाँव में रहने का मौका नहीं मिला है लेकिन तुम्हारा लिखा इतना जीवंत है कि मुझे लगा मैं ग्राम दर्शन कर रहीं हूँ। आभार।
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Thanx
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Welcome.
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Bahut pehle publish kar chuka hoon..
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acchaa hai.
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बेहतरीन
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आभार सोनल
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