उम्मीद जब शुन्य हो Starting from Zero

उम्मीद जब शुन्य  हो,

 कोई भी उसे समझ ना सके।

तब गहरे अंदर  छिपे

हुए अपनी हर शक्ति स्रोत को

जागने दो,

मुक्त छोड़ दो…

खुद को खुद के बंधन से।

अपने अंदर की शक्ति अौर सौंदर्य को पहचानो।

शुन्य से हीं शुरु करो,

राहें मिलती जायेगीं।

19 thoughts on “उम्मीद जब शुन्य हो Starting from Zero

Leave a comment