हम समझते हैं कि
हम सब समझते हैं।
पर ऊपर बैठ,
जो अपनी ऊँगलीं के धागे से
हम सबों को नचा रहा है कठपुतली सा।
उसे हम कैसे भूल जाते हैं?
हम समझते हैं कि
हम सब समझते हैं।
पर ऊपर बैठ,
जो अपनी ऊँगलीं के धागे से
हम सबों को नचा रहा है कठपुतली सा।
उसे हम कैसे भूल जाते हैं?
It is not primarily our physical selves
that limit us but rather our mindset
about our physical limits.