पत्थर

 

हम गलते-पीघलते नहीं ,
इसलिये 
पत्थर या पाषण कहते हो,
पर खास बात हैं कि
हम पल-पल बदलते नहीं।
अौर तो अौर, हम से
लगी ठोकरें क्या
तुम्हें कम सबक सिखाती हैं??

 

31 thoughts on “पत्थर

  1. Does it mean:
    We do not melt,
    Therefore
    Stones or exploitation,
    But special thing is that
    We do not change momentarily.
    And so, and from us
    What is the stumble
    Teach you less less ??

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  2. और देते हैं तुम्हे मजबूत आधार
    एक आलीशान निर्माण के लिए
    छीले जाते हैं छैनी हथौड़ों से
    तुम्हे आस्था और विश्वास देने को

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    1. वाह ! क्या खूब लिखा आपने ! बड़ी खूबसूरत और सटीक पंक्तियाँ अश्वनी जी . बहुत आभार .

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      1. शुक्रिया तारीफ़ के लिए
        अब समस्या ये है न कि तारीफ़ करूँ तो वही दो चार शब्द दोहराये जाते हैं फॉर्मल सा लगता है तो क्यों न माहौल ही बने रहने दिया जाए😊😊

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      2. हाँ , अक्सर फॉरमॅलिटी निभाई जाती है . रस्म अदायगी की तरह . पर उसे बदला भी जा सकता है .

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      3. दुविधा है , फॉर्मेल्टी के इत्तर अगर कुछ और विमर्श करें तो शायद हमें असभ्य समझ लिया जाए।

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      4. नहीँ , ऐसा नहीँ है. आप अपने विचार ज़रूर share करे .
        शायद समय की कमी से लोग रस्म निभा कर काम पूरा करते है .

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      5. जी, जरूर
        अधिकतर इसीलिये like और कमेंट किये जाते हैं क्योंकि बदले में वापस भी चाहिए होते हैं। पर कभी कभी दिल करता है कमेंट करने का, जैसे आपके पोस्ट्स पर क्योंकि मेरा दिमाग भी ऐसा ही चलता है जैसे आप लिखती हैं।

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      6. हाँ , यह ब्लॉग की दुनिया का दस्तूर है . likes , comments और उनकी वापसी
        आप मेरे ब्लॉग पर अपने विचार ज़रूर दे. मुझे अच्छा लगेगा .

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