The divine, eternal, and spiritual love – Krishna went to Radha to bid his farewell before leaving Vrindavan. They spent a few minutes without a word. They knew each other’s feelings. Words had little meaning to convey their love.
कान्हा ने राधा से पूछा, कहाँ है तु खोई-खोई?
क्यों तु लग रही है रोई-रोई ?
राधा ने कहा —
कुछ रिश्ते भावनाअों -एहसासों मे ङूबे होते हैं।
इसलिए निर्दोष होते हैं …
सुंदर होते हैं……
मैंने जितना तुम्हें खोजा,
जितना अधिक जाना,
उतना अौर पाना चाहा, पर पाया नहीं !
कान्हा ने कहा – इसलिये क्योकिं,
अपने दिल में तो तुने झाँका हीं नहीं……
हर मंदिर में तु ही तो होती है मेरे साथ।
राधा-कृष्ण के आध्यात्मिक रिश्ता अौर अलौकिक प्रेम की अनेकों कहानियाँ है। वृंदावन छोङने से पहले कान्हा, राधा से मिले। पर दोनों कुछ नहीं बोल रहे थे, बस चुप थे। पर मौन की भी अपनी एक भाषा होती है।