ज़िन्दगानी – कविता 

Wherever you are, and in whatever circumstances, strive to love and to be a lover.
~ Rumi

जीवन रुकता नहीँ 

  हर पल , हर क्षण  नया है 

दरिया के बहते पानी की तरह.

जो बह गया वह बीत गया.

वह पानी लौट कर आता नहीँ.

यह जीवन चक्र चलता रहता है.

हर पल कुछ नया ले कर आता है.

image from internet.

12 thoughts on “ज़िन्दगानी – कविता 

  1. रुक गया तो जीवन कहाँ ….
    रुका हुआ जीवन कफन मे लिपट जाता है…
    मिट्टी का शरीर मिट्टी मे ही मिल जाता है ….
    बाढ़ के साथ दरिया उपजाऊ मिट्टी लाती है….
    किनारों पर छोड़कर कर दरिया बहती चली जाती है ..
    वही मिट्टी बंजर होती हुयी जमीन को भी उपजाऊ कर जाती है …
    हमेशा कुछ अच्छा उपजाती है…..😊

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  2. जिंदगी की उम्र नहीं होती,
    पर उम्र जिंदगी की होती हैं,
    कितनी….!! sorry मैं भगवान नहीं,

    हाँ एक दोस्त जरूर हूँ

    जो सबकी लंबी,
    खुशी में बिकने वाली,
    बिना बीमारी के

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