भव्य साङी- कविता saree – poem #indianTraditionalWear


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 Sari  is  considered to be of  spiritual benefits in compression to Stitched fabrics . Saree is a traditional Indian wear. It is an unstitched length of cloth measuring 42 – 49″ wide and 5.5 to 9 yards in length.

९ गज का वस्त्र ,साङी पारंपारिक अौर सात्त्विक परिधान माना जाता है । गांठ से  बांधनेवाले, बिनसिले वस्त्र के ४-५ मीटर लंबे टुकडे, जो कमर पर लपेटे कर कटि में गांठ द्वारा बांधे जाते हैं, सिले हुए वस्त्रों की तुलना में आध्यात्मिक लाभ वाले माने जाते हैं।

sari

क्या होता है कहीं ऐसा परिधान ?
खुबसूरत भव्य साङी, मात्र एक लम्बा चीर
नारी के सौंदर्य को बढाता भी है
अौर छुपाता भी है।
ममता भरे आचंल की छावँ,
घुँघट अौर पल्लु की नव गजी ,
भारतीय नारी की पारंपरिक साडी।

इसे बनाने, बुनने अौर पहनने के अनगिनत तरिके।
कभी ना कभी हर वामा हर नारी,
दिल से, पहनती है साङी।
कहनेवाले कहते हैं –
विदेशी वस्र हैं, महिला अपमान का कारण,
पर चीर हरण तब भी होता था,
अब भी होता है।
समस्या वस्र नहीं, मानसिकता में है।

आध्यात्मिक कहलाने वाले धोती-साङी , थी परंपरा पहचान,
पुरुष भूल रहें हैं
पर, कैसे पहने साङी इसमें आज भी उलझी नारी।

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