तो लोग क्या कहेगें? (कविता)

eyes

पूरे आस-विश्वास के साथ वह लौटी  पितृ घर,

           पिता की प्यारी-लाङली

          पर ससुराल की व्यथा-कथा सुन,

        सब ने कहा- वापस वहीं लौट  जा।  

                किसी से कुछ ना बता,

                 वर्ना लोग क्या कहेगगें ?

इतने बङे लोगों के घर की बातें बाहर जायेगी, तो लोग क्या कहेगें?

(  लोग सोचतें हैं, घर की बेटियों को परेशानी में पारिवारिक सहायता मिल जाती है। पर पर्दे  के पीछे झाकें बिना सच्चाई  जानना मुशकिल है। कुछ बङे घरों में  एेसे भी ऑनर किलिंग होता है)

 

छाया चित्र इंटरनेट के सौजन्य से।

चेहरा नहीं तो भाग्य तो सुन्दर होता (कविता)

eyes

वह कभी आइने में अपना सुकुमार सलोना चेहरा देखती

कभी अपनी माँ को।

दिल में छाले, सजल नेत्र, कमसिन वयस, अल्पशिक्षित 

  कुछ माह की विवाहिता,

पति के चरित्रहिनता व बदमिजाजी से तंग,

वापस आई पिता ग़ृह, अपना घर मान कर।

माँ ने वितृषणा से कहा – 

पति को तुम पसंद नहीं हो।

तुम्हारा चेहरा नहीं, कम से कम भाग्य तो सुन्दर होता।

वह हैरान थी, माँ तो विवाह के पहले से जानती थी

उसके ससुराल की कलकं-कथा,

अौर कहा था – घबराओ नहीं,

जल्दी हीं सुधर जायेगा। 

“मेहंदी रंग लायेगी” 

फिर आज़ यह उसके  भाग्य अौर चेहरे की बात कहां से आई?

mehndi

 

 

images from internet.

ऑनर किलिंग, क्यों ?