रौशनी

रौशनी में शख़्सियत

तिमिर या रौशनी

ज़िंदगी में मिलतीं कई हैं राहें।

कुछ राहें जातीं हैं

तिमिर से तिमिर… अंधकार की ओर।

कुछ अंधकार से रोशनी की ओर,

कुछ ज्‍योति से तिमिर की ओर,

कुछ ज्‍योति से ज्‍योति की ओर।

इन मुख़्तलिफ़ राहों से चुन लो

किधर है जाना।

इन राहों में जिसे चाहो चुनो,

वापस लौटने की नहीं है गुंजाइश,

शर्त-ए-ज़िंदगी बस इतनी है।

रौशनी

जिस रौशनी को

हम खोज रहें हैं।

वह तो है हमारे अंदर।

हम सब हैं,

चमकते-दमकते सितारें

इस ख़ूबसूरत काया

के अंदर।

रौशनी

रौशनी

सूरज डूबेगा नहीं,

तब निकलेगा कैसे?

चाँद अधूरा नहीं होगा,

तब पूरा कैसे होगा?

अँधेरा नहीं होगा,

तब रौशनी का मोल कैसे होगा?

अमावस नहीं होगा,

तब पूर्णिमा कैसे आएगी।

यही है ज़िंदगी।

इसलिय ग़र चमक कम हो,

रौशनी कम लगे।

बिना डरे इंतज़ार करो।

फिर रौशन होगी ज़िंदगी।

अंदर की रौशनी !!!

मान कर चलो कि ज़िंदगी में अच्छा…

सबसे अच्छा समय

अभी आना बाकी है।

अपने अंदर की रौशनी

कभी मरने न दो।

तुम्हारा अपना सर्वश्रेष्ठ

करना ही काफी है।

रौशनी!!!

मान कर चलो कि ज़िंदगी में अच्छा…

सबसे अच्छा समय

अभी आना बाकी है।

अपने अंदर की रौशनी

कभी मरने न दो।

तुम्हारा अपना सर्वश्रेष्ठ

करना ही काफी है।

ज़िंदगी के रंग – 53

सूरज ङूबने वाला था,

ना जाने क्यों ठिठका ?

अपनी लालिमा के साथ कुछ पल बिता

पलट कर बोला – अँधेरे से ङरना मत ।

यह रौशनी-अधंकार कालचक्र है।

नया सवेरा लेकर

मैं कल फिर आऊँगा !!!!!

 

 

image by Rekha Sahay

जीवन के  उजाले

जीवन के  उजाले में

साथ निभाने वाले कई  मिलते हैं

मज़ा तो तब है

जब  अंधेरे में भी साथ बैठने वाला…..

साथ देने वाला कोई हो।

असल रौशनी तो तब दिखती है।

दिवाली के जलते दिये

दिवाली के जलते दियों को

देख कर समझ आया

जलना कितना मुश्किल होता है।

लेकिन दीप की तरह जलनेवाले  

रौशनी बिखेर सकते हैं।

यह भी समझ आया।