मैं ख़ुद आईना

आईने ने पूछा –

क्यों लिए फिरती हो मुझे साथ?

मैंने कहा –

यक़ीं है, कड़वे लोगों को बेहतरीन

ज़वाब दे ऊपरवाला थामे रहेगा मेरा हाथ।

पर भूल से भी अहंकार में ना डूब जाऊँ,

आईने में खुद को देख नज़रें झुकाऊँ,

इस कोशिश में कि मैं ख़ुद आईना बन जाऊँ।

अपने से अपनी होड़ लगाऊँ।

Interesting fact –
Stay true to yourself. As what brings

you a sense of happiness, purpose

and meaning in life is important.

मैं या तुम

मुझे हमेशा लगा

– यह तो मैं हूँ।

गौर किया,

तब पाया।

यह तो तुम हो,

मुझ में समाए।

जागता रहा चाँद

जागता रहा चाँद सारी रात साथ हमारे.

पूछा हमने – सोने क्यों नहीं जाते?

कहा उसने- जल्दी हीं ढल जाऊँगा.

अभी तो साथ निभाने दो.

फिर सवाल किया चाँद ने –

क्या तपते, रौशन सूरज के साथ ऐसे नज़रें मिला सकोगी?

अपने दर्द-ए-दिल औ राज बाँट सकोगी?

आधा चाँद ने अपनी आधी औ तिरछी मुस्कान के साथ

शीतल चाँदनी छिटका कर कहा -फ़िक्र ना करो,

रात के हमराही हैं हमदोनों.

कितनों के….कितनी हीं जागती रातों का राज़दार हूँ मैं.

प्राचीनतम पाठशाला

एक दिन मौका मिला जीवन के

प्राचीनतम पाठशाला से

शाश्वत सत्य का सबक लेने का-

“मैं” को आग में धधकते और भस्म होते देखा ,

महसूस हुआ एक रिश्ता खो गया,

फिर खुद से मुलाकात हुई ।

समझ आया जब जीवन का यह हश्र होना है,

तब मिथ्या मोह, अहंकार, गुमान, गरूर किस काम का?

 

Image courtesy- Aneesh.