चाय, किताबें, इश्क़ और तुम

हाथों में गर्म चाय की प्याली औ हम किताबों में गुम।

हो इश्क़ का तरन्नुम औ यादों में तुम।

तब लबों पर थिरक उठती है तबस्सुम,

और आँखों में अंजुम।

चाय, किताबें, इश्क़ और तुम

इन्ही से मिल बनें हैं हम।

अर्थ

अंजुम – सितारे; तारे।

तरन्नुम – स्वर-माधुर्य, गाना, मधुर गान, लय, अलाप।

फीकी चाय (National Chai Day September 21)

फीकी चाय

ना है  चाँद-सितारे तोड़ लाने की फ़रमाइश।

ना हीरे-मोती, गहने, पाजेब चाहिेए। 

नहीं चाहिये गुलाब, कमल, गेंदे या अमलतास।

वापस आ सकोगे क्या?

अकेले चाय पीते-पीते दिल उब सा गया है।

बस एक कप फीकी चाय का साथ चाहिए ।

एक कप चाय!!

कभी,

चाय पीने की आदत नहीं थी हमारी.

मालूम हीं नहीं चला

कब चाय आदत में शुमार हो गई.

और चाय का मतलब तुम हो गये.