जिंदगी के रंग – 201

संगेमरमर से पूछो तराशे जाने का दर्द कैसा होता है.

सुंदर द्वार, चौखटों और झरोखों में बदल गई,

साधारण लकड़ी से पूछो काटे जाने और नक़्क़ाशी का दर्द.

सुंदर-खरे गहनों से पूछो तपन क्या है?

चंदन से पूछो पत्थर पर रगड़े-घिसे जाने की कसक,

कुन्दन से पूछो आग की तपिश और जलन कैसी होती है.

हिना से पूछो पिसे जाने का दर्द.

कठोर  पत्थरों से बनी, सांचे में ढली मंदिर की मूर्तियां से पूछो चोट क्या है.

तब समझ आएगा,

तप कर, चोट खा कर हीं निखरे हैं ये सब!

हर चोट जीना सिखाती है हमें.

अौर बार-बार ज़िंदगी परखती है हमें।

 

यादों के चंदन

 चंदन के साथ रखे थे कुछ

यादें अौ

ख़्वाब !

कुछ ख़्वाब

पूरे हुए,

कुछ अधूरे हैं।

पर संदल की  ख़ुशबू  से भर गये  हैं।