कभी-कभी कुछ रिश्तों को
एक तरफ़ा चलाने को कोशिशें रोक दें,
तब वे रिश्ते मरने लगें।
कभी-कभी देखा है ,
कुछ बेज़ान रिश्ते ढोने से वे जी नहीं जाते।
दरअसल वे रिश्ते होते हीं नहीं।
ऐसे एक तरफ़ा रिश्ते को छोड़
आगे बढ़ जाना समझदारी है।

TopicByYourQuote
कभी-कभी कुछ रिश्तों को
एक तरफ़ा चलाने को कोशिशें रोक दें,
तब वे रिश्ते मरने लगें।
कभी-कभी देखा है ,
कुछ बेज़ान रिश्ते ढोने से वे जी नहीं जाते।
दरअसल वे रिश्ते होते हीं नहीं।
ऐसे एक तरफ़ा रिश्ते को छोड़
आगे बढ़ जाना समझदारी है।

TopicByYourQuote

कभी कभी ठीक नहीं
होना भी ठीक है।
ज़िंदगी में किसी को खो कर,
या किसी के कड़वाहटों से
कभी कभी मुस्कान
खो देना भी ठीक है।
कभी कभी धोखा खा कर
फिर से भरोसा
ना करना भी ठीक है।
अपनी हर भावना को
जैसे हैं, वैसे हीं
मान लेना ठीक है।
पहेली सी इस ज़िंदगी में,
बस अपने आप पर
भरोसा रखना ठीक है।
टूटने के बजाय हौसला से
आगे बढ़ना ठीक है।
क्योंकि उड़ान भरने
के लिए आसमाँ
और भी है।
ज़िंदगी के अनुभव, दुःख-सुख,
पीड़ा, ख़ुशियाँ व्यर्थ नहीं जातीं हैं.
देखा है हमने.
हाथ के क़लम से कुछ ना भी लिखना हो सफ़ेद काग़ज़ पर.
तब भी,
कभी कभी अनमने हो यूँ हीं पन्ने पर क़लम घसीटते,
बेआकार, बेमतलब सी लकीरें बदल जाती हैं
मन के अंदर से बह निकली स्याही की बूँदों में,
भाव अलंकारों से जड़ी कविता बन.
जिसमें अपना हीं प्रतिबिंब,
अपनी हीं परछाईं झिलमिलाती है.
लेखन के दौरान कभी-कभी लिखना कठिन हो जाता है। समझ नहीं आता क्या लिखें, कैसे लिखें।
यह तब होता है
जब आपके काल्पनिक दोस्त ,चरित्र या पात्र आपसे बात करना बंद कर देते हैं !!!
इसे हीं लेखक ब्लॉक कहते हैं।