सदियाँ और युग बीते,
रावण कभी नहीं मरा।
था अति विद्वान।
पर जीत नहीं सका अहंकार अपना।
विजया और रावण दहन सीख है,
जीत सको तो जीत लो अहंकार अपना।
ना रखो कई चेहरे,
दुनिया में कई चेहरे वाले कई रावण है,
इसलिये राम याद आतें हैं।

सदियाँ और युग बीते,
रावण कभी नहीं मरा।
था अति विद्वान।
पर जीत नहीं सका अहंकार अपना।
विजया और रावण दहन सीख है,
जीत सको तो जीत लो अहंकार अपना।
ना रखो कई चेहरे,
दुनिया में कई चेहरे वाले कई रावण है,
इसलिये राम याद आतें हैं।

जिंदगी थी खुली किताब,
हवा के झोकों से फङफङाती ।
आज खोजने पर भी खो गये
पन्ने वापस नहीं मिलते।
शायद इसलिये लोग कहते थे-
लिफाफे में बंद कर लो अपनी तमाम जिन्दगी,
खुली किताबों के अक्सर पन्नें उड़ जाया करते है ।