दूसरों को दर्द देने वाले को
मालूम होती है ख़ता अपनी।
क्यों जाया करना लफ़्ज इन पर?
इन्हें ना दे बद-दुआ, पर तय है
दुआओं में नाम ना होगा इनका।
जब कोई चोट और दर्द दे कर,
अपनी हीं तकलीफ़ का राग सुनाता है,
तब एक पुरानी कहावत याद आती है –
सूप बोले तो बोले, चलनी बोले जिसमें सौ छेद।
Psychological Fact – One may end up feeling exhausted, depressed, anxious, frustrated, and physically sick when Toxic people act as a victim.
बहुत सुंदर।
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Shukriya!
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सच्चाई को दर्शाती सुंदर पंक्तिया 👌
जीवन दुःखद तब हो जाता है जब ऐसे लोगो के सम्पर्क में आपको बार-बार आना होता है क्योंकि
रिश्तों को निभाने का भार संवेदनशील लोगो पर ही होता है🙏
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बिलकुल ठीक कहा तुमने, धन्यवाद अनिता।
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🙏
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Ekdam satik kaha…….khubsurat rachna….
दूसरों को दर्द देने वाले को
मालूम होती है ख़ता अपनी।
क्यों जाया करना लफ़्ज इन पर?
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शुक्रिया मधुसूदन जी।
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