अपने-आप से

ग़र ख़ुशियाँ और सुकून चाहिए,

तब अपने-आप से ना लड़ो।

ना अपने-आप से हारो।

प्यार करो अपने आप से,

ईमानदार रहो, सच बोलो।

याद रखो,

तुम्हारे सब से अपने बस तुम ही हो।

बाक़ी सब तो परखते रहते हैं।

जैसे सोना परखा जाता है

कसौटी पर घस-घस कर।

जिससे तुम कुछ पाओगे नहीं।

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