ना है चाँद-सितारे तोड़ लाने की फ़रमाइश।
ना हीरे-मोती, गहने, पाजेब चाहिेए।
नहीं चाहिये गुलाब, कमल, गेंदे या अमलतास।
वापस आ सकोगे क्या?
अकेले चाय पीते-पीते दिल उब सा गया है।
बस एक कप फीकी चाय का साथ चाहिए ।
ना है चाँद-सितारे तोड़ लाने की फ़रमाइश।
ना हीरे-मोती, गहने, पाजेब चाहिेए।
नहीं चाहिये गुलाब, कमल, गेंदे या अमलतास।
वापस आ सकोगे क्या?
अकेले चाय पीते-पीते दिल उब सा गया है।
बस एक कप फीकी चाय का साथ चाहिए ।
Very nice post
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Thank you Prakash.
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उफ़ ! समझ में तो आ गए आपके इन अल्फाज़ में छुपे आपके ज़ज़्बात । पर क्या कहूं ? दर्द के दरिया को आख़िर पनाह कहाँ मिलती है, आप जानती ही होंगी ।
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मन की बातें कभी कभी दिल में बड़ा हलचल पैदा करने लगतीं हैं। तब मुझे किसी से कुछ कहने – बताने से ज़्यादा सरल लगता है , उसे लिख देना।
आपका आभार।
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शौक से पीजिए
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😊
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अतिसुन्दर
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शुक्रिया।
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बहुत सुंदर
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आभार महावीर जी।
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Waao…♥️
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Thanks Lavanya.
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