चले थे शिकायतों की पोटली ले ऊपर वाले के पास.
आवाज आई,
एहसान फ़रामोश ना बनो.
तुम्हारा अपना क्या है?
ज़िंदगी? तन? धन? या साँसे?
कुछ भी नहीं।
सब मिला है तुम्हें
दाता से उधार, ऋण में.
बस हिफ़ाज़त से रखो.
जाने से पहले सब वापस करना है.
मैंने नजरें उठाई, खुले विस्तृत नीले आकाश की ओर देखा और ऊपर वाले से पूछा। ईश, रात में सोने से पहले और सुबह उठने के बाद तुमसे बातें करती हूं। हर तरफ तुम्हारी ही आभा बिखरी दिखती है. अपनी हर परेशानी और कामना तुम्हें बताती हूं। अब तुम्हारे देवत्व और दिव्यता के बारे में क्या कहूं? तुम्हें परिभाषा में बांधना असंभव है।तुम मेरे लिये क्या हो? तुम्हीं बताअो।
ऊपर वाले ने जवाब दिया – “जो मैं हूं वह तुम हो. तुम मेरा ही अंश हो। तुम्हारी यात्रा मुझ तक पहुंचने की है. चाहे जो भी राह या धर्म अपना लो. योग, प्राणायाम, ध्यान जिस विधि मुझे पा लो. मेरी हर रचना में मुझे ही देखो, यही मेरी सबसे बड़ी उपासना है।
हमने कहा – अगर तुम और हम एक ही हैं. तब तुमने मुझे इतना गहरा आघात, इतनी चोटें क्यों दीं? जानते हो ना, जिंदगी के मझधार में हमसफर का खोना कितना दुखदाई है। ऊपरवाला थोड़ा हिचकिचाया। फिर वह धीरे से मुस्कुराया और बोला – यह जीवन यात्रा है। इसमें जन्म-मृत्यु, दुख-सुख तो लगा ही रहेगा। राम और कृष्ण बन कर मैं भी तो इनसे गुजरा हूं। सच कहो तो, मैं तुम्हें तराश रहा था। ठीक वैसे जैसे तराश कर हीं पाषाण या संगमरमर से कलात्मक कलाकृति बनती है। जीवन का हर चोट बहुत कुछ सिखाता है. आत्मा और परमात्मा के करीब लाता है। अपने अंतर्मन के अंदर यात्रा करना सिखाता है. बस टूटना नहीं, मजबूत बने रहना अौर याद रखना –
When the world pushes you to your knees,
you’re in the perfect position to pray.
Wherever you are,
and whatever you do,
be in love with me.
डिग्निटी फाउंडेशन ने “आध्यात्मिकता” 2021 पर वीडियो आमंत्रित किया था। मेरे इस वीडियो का चयन “डिग्निटी डिविनिटी -भाग 1” मे किया गया। यह यूट्यूब पर उपलब्ध है।
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