
पृथ्वी को हमने डस्टबीन बना दिया ,
दिल नहीं भरा है तब सागर की ओर मुड़ गए .
फिर भी तसल्ली नहीं हुई तो
एवरेस्ट का भी यह हाल कर दिया .
हद है स्वार्थ परस्ता और नासमझी की.

पृथ्वी को हमने डस्टबीन बना दिया ,
दिल नहीं भरा है तब सागर की ओर मुड़ गए .
फिर भी तसल्ली नहीं हुई तो
एवरेस्ट का भी यह हाल कर दिया .
हद है स्वार्थ परस्ता और नासमझी की.
जल्द ही हम भी इस पृथ्वी पर कचरा मात्र ही रह जाएँगे.. देखते जाइए!
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सही फ़रमाया अपने।सभी जगहों को तो कूड़ेदान bana ही diya है हम logon ne।
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