ज़िंदगी के रंग – 91

ज़िंदगी जीते जीते

ख़्याल आया ,

रो-रो कर वर्षों की …..

ज़िंदगी से अच्छा है.

एक लम्हा जी लो

ज़िंदगी ख़ुशी के ,

14 thoughts on “ज़िंदगी के रंग – 91

  1. ज़िंदगी के रंग… बड़े अजीब से हैं!
    बहुत दूर हैं फिर भी… करीब से हैं!
    ये रंग हैं अपनेपन के खुशनुमा एहसास के!
    ये रंग हैं महकते गुलमोहर की मधुमास के!
    ये रंग हैं किसी अल्हड़ लड़की की मुस्कान के!
    ये रंग हैं बनारस में गूंजते श्लोक संग कुरान के!
    ये रंग हैं बूढ़ी आँखों में बेटी के ब्याह अरमान के!
    ये रंग हैं दर्द में जीते और मुस्कुराते हर इंसान के!

    Liked by 1 person

      1. आशुकवि हो सो आपकी सुंदरतम पोस्ट पर त्वरित प्रतिक्रिया रुप ये काव्य लिख दिया| धन्यवाद, आपको पसंद आयी काव्याभिव्यक्ति|
        😊😊👍

        Liked by 1 person

      2. इस सम्मन के लिए आभार . बहुत सुंदर रचना हैं अपने blog पर डाल दीजिए .

        Like

      3. जी, इसे पूरा करके ब्लॉग पर डालूंगा… संदर्भ में आपकी पोस्ट की विषयवस्तु का जिक्र भी अवश्य होगा… कविता का प्रेरणा पुंज तो आपकी ही पोस्ट ही रही है… 😊👍

        Liked by 1 person

  2. आशुकवि हूँ सो त्वरित जो समझ आया लिख दिया… धन्यवाद, आपको पसंद आई यह काव्याभिव्यक्ति! 😊👍

    Liked by 1 person

Leave a comment