थकान

कभी कभी ज़िंदगी

से थकान होने लगती है .

चाहो कुछ

होता कुछ और है

ज़िंदगी ना जाने किस मुक़ाम पर

क्या रंग दिखाएगी ?

कब हँसाएगी कब रुलाएगी ?

14 thoughts on “थकान

  1. सुन्दर प्रस्तुति ! जीवन में प्रायः एकरसता के कारण थकानआती है , नीरसता आती है , ऐसा मेरा मानना है | इसलिए :

    ये बहुत अच्छा है
    जिंदगी बताती नहीं
    कि उसका इरादा क्या है
    वर्ना फीका सा हो जाता
    ज़िन्दगी का सफर
    बेरंग सुनसान सी लगती
    जीवन की डगर !
    ऊँची नीची रेखाएँ दर्शाती
    जीवन है कायम गतिमान
    सीधी सपाट रेखा बताती
    बस, आगया इहिकाल |

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      1. ये तो आपकी ज़र्रा नवाज़ी है जो मेरी तुकबंदियों को कविता का ओहदा दे रही हैं ! पर यह सच है कि प्रशंसा से और बेहतर करने की प्रेरणा जरूर मिलती है | आपको अशेष धन्यवाद |

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