कभी कभी ज़िंदगी
से थकान होने लगती है .
चाहो कुछ
होता कुछ और है
ज़िंदगी ना जाने किस मुक़ाम पर
क्या रंग दिखाएगी ?
कब हँसाएगी कब रुलाएगी ?

कभी कभी ज़िंदगी
से थकान होने लगती है .
चाहो कुछ
होता कुछ और है
ज़िंदगी ना जाने किस मुक़ाम पर
क्या रंग दिखाएगी ?
कब हँसाएगी कब रुलाएगी ?

I want to sing
like the birds sing,
not worrying about
who hears or
what they think.

Rumi ❤️❤️