ऐसा क्यों हैं – 2 ? व्यंग

चोरों की ,चोरियों की कहानियाँ सुनी काफ़ी चोर पकड़े जाते भी सुना

पर चोरनी की बातें,कम हीं सुनने में आतीं हैं.

डाकुओं की फ़िल्मे देखी पर

इनी – गिनी महिला डाकूओ की चर्चा सुनी

वह भी दस्यु सुंदरी के सम्मन के साथ .

क्या महिलाओं में साहस -मर्दानगी की कमी हैं ?

भोली हैं? जो इस फ़ील्ड को पसंद नहीं किया ?

या शातिर हैं ? इसलिए बच निकलती हैं?

या यहाँ भी पुरुष वर्चस्व हैं?ऐसा क्यों हैं?

सोचिए ज़रा……

ज़िंदगी के रंग – 84

आज किसी ने कहा –ज़िंदगी तब बेहतर होती हैं,

जब हम ख़ुश होते हैं.

लेकिन तब बेहतरीन हो जाती हैं,

जब हमारी वजह से सब ख़ुश हो जाते हैं.

पर सच तो यह हैं कि एक साथ

सभी को ख़ुश नहीं किया जा सकता .

ऐसा क्यों हैं – 1? अकेले ??

कभी कभी अपने साथ अकेले छुट्टियाँ बिताना , समय गुज़ारना, अपने आप से बातें करना अच्छा लगता है.

पर एक प्रश्न सभी की ज़बान पर होती है -आप अकेली आईं हैं? बिलकुल अकेली ? अच्छा ! मन कैसे

लगता हैं आपका ?

वामा .., नारी क्या अकेले नहीं होनी चाहिए ?हमने भी पूछ लिया – आपके साथ कौन है?

अकेले ? बिना पत्नी …. बिना बच्चों के ?पर किसी को इसकी चिंता नहीं . यह प्रश्नक्यों सभी की नज़रों में

होता हैं अकेली नारी के लिए ? पर क्यों पुरुषों के लिए नहीं ? शायद असुरक्षित समाज की दुहाई देंगे लोग .

पर असुरक्षा भी तो वही देते हैं.

Blows

When someone beats a rug,

the blows are not

against the rug,

but against the dust in it.

Rumi ❤️❤️

Path of love

Let us carve gems

out of our stony hearts

and let them light

our path to love.

Rumi ❤️❤️