कभी कभी समझ नहीं आती ,
क्यों है ज़िंदगी इतनी उलझन भरी ?
जितनी सुलझाओ उतनी
ही उलझती जाती है .
रंग बिरंगे उलझे धागों की तरह
कहीं गाँठे कहीं उलझने हीं उलझने
और टूटने का डर …..
क्या यही है ज़िंदगी ?

कभी कभी समझ नहीं आती ,
क्यों है ज़िंदगी इतनी उलझन भरी ?
जितनी सुलझाओ उतनी
ही उलझती जाती है .
रंग बिरंगे उलझे धागों की तरह
कहीं गाँठे कहीं उलझने हीं उलझने
और टूटने का डर …..
क्या यही है ज़िंदगी ?

बिल्कुल सही लिखा है।
खूबसूरत पंक्तियाँ।👌👌
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Aapkaa aabhaar.😊😊
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jeena si ka naam hae … ❤
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Bilkul, dhanyvaad 😊
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