काँच के झरोखे

अगर
दुखः-सुखः भरी इस जिंदगी की
कोई खिङकी खुली रह गई
तब मिल जाते हैं ,
हजार झाँकनेवाले।

अक्सर लोग भूल जातें हैं
नियती ने, जीवन ने ……
सबके घरों में काँच के झरोखे लगा रखे हैं।
अौर दुखः-सुखः भी आनी-जानी है।
गवाक्ष से झाँकना छोङ
द्वार पर जा मदद का हाथ बढ़ाअो।
तब बात बने।

75 thoughts on “काँच के झरोखे

      1. सबकी अपनी अपनी पसंद होती है 😊,,आप अपनी पसंद से जो अच्छा लगे use कीजिए😊

        Liked by 1 person

      1. मुझे हिंदी ज्यादा पसंद है। बङी मेहनत से हिंदी typing सीख कर ब्लाग शुरु किया था।
        blogger.com se likhna shuru kiya tha. tum Indiblog par ho?

        Liked by 1 person

      2. English ke post padho aur friend se eng me baten karo.
        indiblog acchaa hai. join kr skte ho. mai to na jane kitne site pr hun , ab yaad bhi nahi hai aur jaati bhi nahi hun. but i like indiblog.

        Like

      3. इतना समय ही नहीं होता…. जो वक़्त मिलता है इन साईड पर लिख लेता हू 😊

        Liked by 1 person

  1. पहले की है..सामाजिक मुद्दों पर वही लिखता हु..

    वर्ड प्रेस पर श्रंगार रस की…😊

    गूगल ट्रस लेट लेे रखा है 😋😋😂😂😂 उस से काम चला लेता हू

    Liked by 1 person

  2. सही है,, ये खाली समय को बांटने का जरिया है 😊,,

    बाकी निजी लाइफ पर फोकस होना चाहिए😊

    Like

Leave a comment