बिखरती खुशबू को समेटने
की चाहत देख सुगंध ने कहा –
हमारी तो फितरत हीं है बिखरना
हवा के झोंकों के साथ।
तुमने बिखर कर देखा है कभी क्या ?
इस दर्द में भी आनंद है।
बिखरती खुशबू को समेटने
की चाहत देख सुगंध ने कहा –
हमारी तो फितरत हीं है बिखरना
हवा के झोंकों के साथ।
तुमने बिखर कर देखा है कभी क्या ?
इस दर्द में भी आनंद है।
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति है आपकी कविता में। 👏👌
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आपका बहुत आभार !!!
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gajab ki panktiyan…….bahut khub.
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Tariffs ke liye shukriya Madhusudan.
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Beautiful poem
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Thank you 😊
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बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।
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मेरे लिए ख़ुशी की बात है कि यह आपको पसंद आई .
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